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वैदिक ज्योतिष में केतु महादशा 7 साल की ग्रहीय अवधि है। इस दौरान केतु की आध्यात्मिक ऊर्जा आपके जीवन पर हावी हो जाती है। यह शक्तिशाली अवधि बड़े बदलावों के जरिए लगाव, भीतर की समझ और बुरे कर्मों से मुक्ति दिलाती है। नीचे हिन्दी में केतु महादशा (Ketu mahadasha in hindi) का महत्व दिया गया है।
केतु महादशा की अवधि व्यक्ति के जीवन का एक चुनौतीपूर्ण किन्तु आध्यात्मिक रूप से एक अच्छा और समृद्ध समय है जो लगाव, पिछले जन्म के कर्म और अंदरूनी परिवर्तन के विषयों से जुड़ा है।
केतु दशा का महत्व आगे बताया गया है:
आपकी कुंडली में केतु की स्थिति यह तय करती है कि केतु की दशा आपके जीवन में आध्यात्मिक तरक्की लाएगी या फिर कोई चुनौतियां। नीचे सकारात्मक और नकारात्मक केतु महादशा का प्रभाव बताया गया है।
केतु महादशा के लक्षण के जरिए आप सकारात्मक केतु दशा के व्यक्ति पर पड़ने वाले सभी प्रभावों को यहां जान सकते हैं। ऐसा तब होता है जब केतु आपकी कुंडली में सही स्थिति में हो।
केतु महादशा के लक्षण के जरिए केतु महादशा के नकारात्मक प्रभावों पर एक नज़र डालते हैं। जब केतु आपकी कुंडली में नकारात्मक स्थिति में हो तो यह अवधि चुनौतियां लेकर आती है।
केतु की दशा-अंतर्दशा व्यक्ति की सात साल की यात्रा के दौरान उसकी परिस्थितियों को और अधिक प्रभावित करती है। केतु महादशा के इन प्रभावों को विस्तार से जानें।
केतु की महादशा (Ketu ki mahadasha) और केतु अंतर्दशा जीवन में अचानक बदलाव लाती है और व्यक्ति को नई परिस्थितियों का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। नौकरी, घर और जीवन में बड़ा बदलाव लगभग तय रहता है।
इस अवधि में केतु शुक्र द्वारा प्रदान की जाने वाली चीजों यानी प्रेम, आराम, दोस्ती, सुख-सुविधा और सुंदरता को चुनौती देता है। इसलिए आपको उन चीज़ों से बहुत सावधान रहना होगा जो भले ही आकर्षक लगें लेकिन जाल बन सकती हैं।
यह अवधि आपको कुछ अपमान के दौर के लिए तैयार करती है जैसे कामकाज को लेकर। लेकिन यह आपको केवल अहंकार से मुक्ति दिलाती है। इसके अंत में आप काफी शांत अवस्था में होते हैं।
इस अवधि में व्यक्ति महीनों की गलतफहमियों, लंबे संघर्षों के बाद शांति की स्थिति में होता है। यह व्यक्ति के लिए एक विश्राम काल होता है जहाँ वह भावनात्मक रूप से अलग हो जाता है और बिना किसी परेशानी के हालात के साथ ढलना सीखता है।
केतु महादशा मंगल अंतर्दशा एक ऐसा दौर है जब व्यक्ति विकास की तलाश में रहता है और उसके लिए संघर्ष करता है। मतभेद और संघर्ष हो सकते हैं लेकिन वह फैसला लेने में अधिक जिम्मेदार होगा और सही के लिए खड़ा होगा।
केतु महादशा राहु अंतर्दशा कर्म काल है। इस समय में व्यक्ति अपने कर्मों पर काबू खो देता है और भाग्य हावी हो जाता है। उसकी योजनाएं विफल हो जाती हैं और वह अपने पिछले जन्मों के कर्मों के कारण मुश्किल परिस्थितियों में फँस जाता है। इस अवस्था में मौन रहना ही बेहतर है।
केतु की महादशा (Ketu ki mahadasha) में बृहस्पति का अच्छा साथ होता है, जो दर्शाता है कि व्यक्ति को विश्वास और आशा की प्राप्ति होती है। उसे गहरे ध्यान के लिए एक गुरु का सहयोग भी प्राप्त होता है। इसलिए व्यक्ति अधिक आध्यात्मिक, सकारात्मक और अच्छा महसूस करता है। नीचे केतु में शनि की अन्तर्दशा (Ketu me shani ki antardasha) के बारे में बताया गया है।
अब तक आप सकारात्मक और उदासीन महसूस कर रहे होंगे लेकिन केतु में शनि की अन्तर्दशा (Ketu me shani ki antardasha) के समय आप फिर से सुख-सुविधा पाने की दौड़ में शामिल हो जाएंगे। केतु आपको पीछे खींच रहा है और शनि आपको कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित कर रहा है, जिससे चिड़चिड़ापन, नींद में खलल और कुछ एलर्जी हो सकती है।
केतु महादशा का यह आखिरी चरण बुध के साथ है, जिससे सभी प्रकार के उलझन और आलस से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति एक बार फिर परिस्थितियों पर विचार कर सकता है। उसकी बुद्धि में वृद्धि होती है और वह सकारात्मकता के साथ भविष्य की योजनाएँ बना सकता है।
यदि आप केतु की दशा से गुज़र रहे हैं और उसकी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, तो इस दौर से निपटने के लिए कुछ कारगर उपाय हैं। नीचे हिन्दी में केतु महादशा (Ketu mahadasha in hindi) के उपाय दिए गए हैं।
केतु महादशा के बाद का जीवन व्यक्ति के दूसरे रूप में होता है जैसे तरक्की और किसी भी मुश्किलों का सामना करने के लिए समझदार हो जाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख बदलाव दिए गए हैं जो आपको दिखाई दे सकते हैं।
केतु महादशा आध्यात्मिक परिवर्तन की एक गहन 7-वर्षीय अवधि का निर्माण करती है जिसमें चुनौतीपूर्ण और मुक्तिदायक दोनों चरण होते हैं। बृहस्पति और बुध जैसी सकारात्मक अंतर्दशाएं विकास और ज्ञान में सहायक होती हैं, जबकि राहु और शुक्र की अंतर्दशाएं ज्यादा चुनौतियां लाती हैं जिनके लिए आध्यात्मिक उपाय और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
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